...

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मसनूई!
मसनूई खुशबू इन गुलाबों में है,
जो फूल अभी तेरे हाथों में हैं!
भीगी पलकों मे देखूँगा उसे एक दिन,
मोहब्बत अभी तक जिसके ख्यालों में है।

उस खुश्क फूल मे खुशबू बाक़ी है अभी,
जो कभी रखा था मैंने किताब में!
इस फूल की हालत तो देखो,
जो अभी भी तेरे बालों में है।

वादों की कश्ती मे सवार होकर चले थे,
वो अपनों की जुदाई से दो-चार होकर चले थे!
बेरहम सहरा ने जकड़ रखा है उनहें,
जो मन्ज़िल की उम्मीद में सिर्फ पतवार लेकर चले थे।

मुझे यक़ीन था कि वो खुद को ढूंड लेगा एक दिन,
जिस तरह वो ज़ादे-सफर साथ लेकर चला था!
कैसे करें शिकायत उससे कि भूला नहीं है वो,
जबकि मुद्दत हुई वो अभी तक मेरे ख्यालों में है।


© alfaaz-e-aas