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जैनो की धरोहर आगम
ऐ जैन धर्म के लोगो
तुम ध्या लो आगम साचा
ये पुण्य है हम सबका
फैला दो धर्म साचा
मत भूलो नालन्दा को
कैसे जिनवाणी जलाई
अब याद उन्हें भी कर लो
जो आगम यहाँ तक लाए
ऐ जैन धर्म के लोगो
जरा शर्म थोड़ी सी कर लो
जो आचार्यों ने लिखा हैं
उसको तुम थोड़ा
तुम भूलो मत अब उनको
जानो इतिहास की कहानी
जो —————
उसको
जब मुग़ल शाशन आया
खतरे में पड़ी जिनवाणी
जब तक थी शक्ति अड़े वो
फिर अपनी शक्ति गवा दी
कंधों पर रखकर माथा
रो पड़े आतम ज्ञानी
जो—-
जरा
जब शास्त्र नहीं बचे
जैन खोज रहे जिनवाणी
जब सब बैठे थे घरों में
ज्ञानी ढूँढ रहे थे वाणी
थे धन्य लोग वो अपने
थी धन्य गुरुओ की वाणी
कई आचार्य कई ज्ञानी पड़ित
कोई सेठ कोई पुरुषार्थी
कोई कोई
कोई कोई
शास्त्रों लिखने वाला
भाषा को बदलने वाला
हर जैन था आगम प्रेमी
जो लिखा शास्त्रों पर
वो केवलज्ञान की वाणी
जो आचार्यों —-///////
उसको
झुक गई जिनकी काया
फिर भी लिखते गये थे
शब्द काटो से पत्तो में रचाया
फिर भी लिख गये तन गवा के
जब समाधि समय आया तो
कह गये अब तुम्हें सौपते है
तुम संभलना आगम सारा
धारण करना शुत साचा
अब हम तो पर्याय बदलते है
क्या गुरु मिले उपकारी
क्या ज्ञानी मिले सब दानी
जय जिनेद्र जय जिनेद्र — —-