...

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ठुकरा दो,या प्यार करो...!
होंगे तुम्हारे
कई उपासक,देते होंगे कई उपहार,
मैं तो हूँ ...........प्रेमाकांक्षी,साथ बस मैं भाव लाया हूँ।

पहली नज़र में तुमको चाहा, और तुमको सब कह दिया,
साहस कर तुमको भी मैंने हाल ए दिल सब कह दिया ।

कैसे जताऊं प्रेम में तुमसे,मुझमे आधुनिकता तो कुछ नही
बस करता हूँ मैं प्रेम तुमसे,मैं आडम्बर का दास नही।

सीधी सादी शक्ल है मेरी,मन भी भोला भाला है,
मन के भाव जैसे भी होते ,कह देता सारा का सारा हूँ।

मैं तो तुम्हारे प्रेम को तरसता,हमेशा उपेक्षित रहा हूँ,
कर लेते तुम भी मुझसे प्रेम, हमेशा कल्पित रहा हूँ।

जो भी भाव है मेरे मन मे उसको तुम पर अर्पित करता,
चाहो तो तुम ठुकरा दो, चाहे इसे अपना लो तुम।।

ये रहा मेरा दिल अब, चाहे इसको प्यार करो
चाहे तुम इसको तोड़ दो, चाहे तुम इसे छोड़ दो।



समर्पित🙏


© सौरभ" शिवम"