...

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ऐ काश.....
काश कि ख़ुदा ये हालात कभी पैदा ही ना करे, कि
बिटिया को घर से भाग चलना पड़े
दिल से दुआ है ये ख़ुदाया से, कि वो ऐसी हालात कभी पैदा ही ना करे, कि
किसी माँ को अपनी लाडली बिटिया के लिए किसी अमावस के रातों जैसे काले अंधियारों से भरे कमरे के
कोने में जाकर त्योहारों में उसके ना होने पर उसकी यादों में
तन्हा रो-रोकर किसी मिट्टी के धधकते चूल्हे के
ताप की तरह जलना पड़े
ऐ काश कि ख़ुदा ये हालात कभी पैदा ही ना करे,
जो एक मासूम-सी जान को ना चाहते हुए भी अपने घरवालों की
तौहीन कर अपने जिस्म और अपने दिल-ओ-दिमाग,
दोनों के ही ज़रूरतों के संग ढलना पड़े
हाँ, हाँ वो कभी ऐसे हालात पैदा ही ना करे
जो रात तक साथ हँस-बोलकर साथ सोई माँ को सुबह जागकर अपनी लाडली को पास ना पाकर
उसकी तालाश में सड़कों पर गाड़ियों के बीच अपनी उस मासूम की तस्वीर लेकर
पागलों की तरह निकलना पड़े
ऐ काश कि ख़ुदा ये हालात कभी पैदा ही ना करे, कि
बिटिया को घर से भाग चलना पड़े
काश कि अभी के अभी इसी वक़्त कोई करिश्मा हो जाए
हाँ, हाँ काश हर माँ और उसकी वो मासूम-सी जान इस पूरी क़ायनात में सबसे पक्के दोस्त हो जाए,
वैसे दोस्त जिसको एक दूजे के सांसो की भी ख़बर रहती हो
ताकि जब कोई माँ फ़ोन उठाए ना अपनी बिटिया का, तो
उसको कभी ना संभलना पड़े
हाँ, ऐ काश कि ख़ुदा ये हालात कभी पैदा ही ना करे, कि
बिटिया को घर से भाग चलना पड़े


© Kumar janmjai