...

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पिघलते रिश्ते__!!
यूं ही अपनों को तकलीफ दे जाते हैं ,
औरो की खातिर,
खुदको ही रुला जाते हैं,
वैसे तो रिश्ते निभाने के लिए होते हैं,
पर कुछ लोग बेवजह ही इन्हे पिघला जाते है ||

अब इन पिघलते रिश्तों की क्या तबीर करे हम
जब जमाने भर में हम ही ठुकराए गए हैं ,
होके भी लापता इन रसमो रिवाजो से
कहां दूर तक पहुँच पाए हैं ||

अब देखती हूं तमाशा दूर खड़े होके ही ,
की आखिर कहां तक ​​ये पिगलते रिश्ते पहुँच पाए हैं ||




© adhoore khwab