...

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तुम
तुम तुम.. थे तुम ही रहते।
ज़िन्दगी में क्यू आए ।
यूं बहारो के सपने दिखा के
फूलो को नहीं जलाते।

आसमान से दोस्ती करके
तारो को नहीं तोड़ते।
हकिगत के दौर में।
ख्वाबों को नहीं सजाते।

माना नफ्रत है...