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जीवन
लाखों बार गगरियाँ फूटीं, शिक़न नहीं आई पनघट पर
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं, चहल-पहल वो ही है तट पर..
तम की उमर बढ़ाने वालों, लौ की आयु घटाने वालों
लाख करे पतझड़ क़ोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है....
© All Rights Reserved
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं, चहल-पहल वो ही है तट पर..
तम की उमर बढ़ाने वालों, लौ की आयु घटाने वालों
लाख करे पतझड़ क़ोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है....
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