...

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आरजू
छत पे कभी कभी युँ ही आया करो
गेसुओ को हवाओ मे लहराया करो.....

महताब को छुपाना लाजमी है मगर
हर शब को अमावस ना बनाया करो.....

कुछ तो वजह है होठो...