...

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" पछताओगे"
करके सरेआम बदनाम मुझे,
तुम नाम कहाँ से पाओगे,
जिनके भरोसे रूठे हो तुम,
उनके ही बीच खुदको तन्हा पाओगे।।

भूल कर मेरे प्यार को,
आठो पहर पछताओगे,
वक़्त रहते संभल जाओ,
वरना दर दर ठोकर खाओगे।।

लगाकर दोष मुझ निर्दोष पर,
ऊपरवाले से कैसे छुपाओगे,
करके जलील भरे समाज मे मुझे,
तुम भी कहाँ चैन से जी पाओगे।।

बेइंतहा प्यार करतें हैं हम,
कीमत इसकी क्या समझ पाओगे,
मेरी मोहब्बत को शर्मशार करके,
तुम किसकी चाहत पाओगे।।

झूठ के पाँव नही होते,
कितना दूर भाग के जाओगे,
अपनाना भी मुश्किल हो जायेगा,
अगर ज्यादा वक्त लौटने में लगाओगे।।

सारी दुनियां ने सम्मान दिया,
अपमानित कर कितना नीचे जाओगे,
गुस्से के कारण को भूलकर,
रिश्तें को क्या संभाल पाओगे।।


© RamKumarSingh