मेरी चाह ही मेरी मंजिल
लिखती रहूंगी तब तक जब तक
ये सांसे चलती रहेगी और दिल मजबूर
करता रहेगा।
मुस्कुराती रहूंगी तब तक जब तक
वजह मिलती रहेगी ।
चलती रहूंगी तब तक जब तक
सारे रास्ते बन्द नहीं हो जाते।
बोलती रहूंगी तब तक जब तक
किसी के कानों में आवाज़ नहीं पहुंचेगी।
सोती रहूंगी तब तक जब तक
मस्तिष्क को मेरे आराम नहीं मिलेगा।
गाती रहूंगी तब तक जब तक
संगीत स्वर राग धुन आते रहेंगे।
भरती रहूंगी रंग अपनी कलाकृतियों में
तब तक जब तक वो अपना वास्तविक
रूप में नहीं दिखने लगेगा।
खेलती रहूंगी तब तक जब तक
मेरा दिल बच्चा रहेगा।
करती रहूंगी मदद सबकी तब तक
जब तक कर सकने में सक्षम रहूंगी।
सोचती रहूंगी तब तक जब तक
मेरे मस्तिष्क में ऑक्सीजन की सप्लाई होती रहेगी।
© anu singh
ये सांसे चलती रहेगी और दिल मजबूर
करता रहेगा।
मुस्कुराती रहूंगी तब तक जब तक
वजह मिलती रहेगी ।
चलती रहूंगी तब तक जब तक
सारे रास्ते बन्द नहीं हो जाते।
बोलती रहूंगी तब तक जब तक
किसी के कानों में आवाज़ नहीं पहुंचेगी।
सोती रहूंगी तब तक जब तक
मस्तिष्क को मेरे आराम नहीं मिलेगा।
गाती रहूंगी तब तक जब तक
संगीत स्वर राग धुन आते रहेंगे।
भरती रहूंगी रंग अपनी कलाकृतियों में
तब तक जब तक वो अपना वास्तविक
रूप में नहीं दिखने लगेगा।
खेलती रहूंगी तब तक जब तक
मेरा दिल बच्चा रहेगा।
करती रहूंगी मदद सबकी तब तक
जब तक कर सकने में सक्षम रहूंगी।
सोचती रहूंगी तब तक जब तक
मेरे मस्तिष्क में ऑक्सीजन की सप्लाई होती रहेगी।
© anu singh