...

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कनीज़ हूँ मैं खुदा का
मैं वो प्रीत हूँ माँ का, दुलारी हूँ बाप का
कनीज हूँ खुदा का और बेटी हूँ मैं इस्लाम का!

हर रिवाजों से पाकिजा एक आहकाम हूँ शरिया का,
मुस्कान मेरी खुबियां, एक पहचान हूँ पर्दा का!

इखलास भरी नीयत हूँ और शान हूँ ईमान का
मैं बेटी हूँ फक्र हैं, माँ के जाति का!

जखीरा हूँ जिक्र का,
खिदमतगार हूँ इकराम के सीफत का
मैं उम्मती हूँ आखरी पैगम्बर का!

मुझको तलब हैं इल्म-ए-नफा का
आफरीन हूँ मैं अपने मा-बाप का!

मुझे नाज़ हैं मेरी परचम पर
क्यूंकि बेटी हूँ मैं इस्लाम का और कनीज हूँ खुदा का।।
© Afia Begum