प्रकृति के खेल
क्यों दुःख सुख के राग में लपेटता है ?
खुद को,देख तो तुम कर्ता है कौन?
प्रकृति के क्रिया प्रक्रिया में मोहरे मात्र तू
दुख सुख तेरे लिए होगा पर देखो तो
यहां सिर्फ प्रकृति का एक बहाव मात्र
ना प्रकृति के लिए दुख है ना सुख है ,
जैसे लोहार पानी छिड़कता है लोहे पर
तो भी छन की आवाज आती है और
जब आग में तपता है तो भी आवाज...
खुद को,देख तो तुम कर्ता है कौन?
प्रकृति के क्रिया प्रक्रिया में मोहरे मात्र तू
दुख सुख तेरे लिए होगा पर देखो तो
यहां सिर्फ प्रकृति का एक बहाव मात्र
ना प्रकृति के लिए दुख है ना सुख है ,
जैसे लोहार पानी छिड़कता है लोहे पर
तो भी छन की आवाज आती है और
जब आग में तपता है तो भी आवाज...