...

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भागयशाली
यह पीड़ा अंजाई न जाए।
यह पीड़ा ' गरभ' वर पाए।

यह पीड़ा कोई अक्षर ले आए।
गीत नुमा औलाद खिडाए।

यह पीड़ा अब हिफाज़त बनी है।
मरियादा-रेखा गिरद तनी है।

खुशी से अब मैं पीड़ा हंडायूं।
रोज़ इसे मैं गोद खिडायूं।

खुद ही चुगा मैं पीड़ का कांटू।
गीत है जनमा, लोहड़ी मैं बांटू।

छाती की चीख से जनमा यह गीत।
यही मेरा नाती, यही मेरा मीत।

(सगन)