...

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छैल-छबीला
बड़े छैल-छबीले हो.....
कभी दिखते, कभी छिपते हो...
मैं भी छिप जाऊँ क्या ,
देखते हैं , कैसे ढूँढ़ते हो.....

" मोहब्बत सिर्फ़ चाँद से होती है "
क्या ये बात तुम भी मानते हो ..?????
अगर मैं कहूँ - ' मुझे तुमसे मोहब्बत है'
तो क्या तुम भी शरमाते हो.....????

तेरी तपिश में रोज़ जलती हूँ मैं.....
दोस्ती , मोहब्बत सब तुम्हीं से करती हूँ मैं....

लोगों ने चाँद को महबूब का नाम दिया है...
लो, आज़ मैंने सूरज को चाँद का नाम दिया है....!!!


If any error in this poem ,plzz tell me🙏🏻🙏🏻

© my feelings