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गम की धार
जिन्दगी कुछ आसान हो जाती, इस का क्या जाता ?
गम कि धार कुछ कम हो जाती, तो इस का क्या जाता ?
अगर कुछ नहीं बदलना था, सब ऎसा ही रहना था
तो साँसों की रफ्तार थम जाती, तो इस का क्या जाता ?
पवन पर सवार हम नहीं, वक्त के मुसाफिर हम नहीं
ना तेरी हाँ में खुश, ना तेरी बेरूखी से परेशान
जब तु सामने था, बहुत करीब मेरे, उस वक्त गर,
समय की रफ्तार थम जाती तो इस का क्या जाता..??
#writco #writcopoem #poetry
© अlpu
गम कि धार कुछ कम हो जाती, तो इस का क्या जाता ?
अगर कुछ नहीं बदलना था, सब ऎसा ही रहना था
तो साँसों की रफ्तार थम जाती, तो इस का क्या जाता ?
पवन पर सवार हम नहीं, वक्त के मुसाफिर हम नहीं
ना तेरी हाँ में खुश, ना तेरी बेरूखी से परेशान
जब तु सामने था, बहुत करीब मेरे, उस वक्त गर,
समय की रफ्तार थम जाती तो इस का क्या जाता..??
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