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मन गीत मिलन के गाए रे...
सावन की बूँदें रूम- झूम घन उमड़ –घुमड़ गरजाए रे
ऐसे में सजन तुम आ जाओ, मन गीत मिलन के गाए रे ।
पहला सावन प्यार का साजन, जी काहे घबराए
बिजुरी चमके डर मोहे लागे, धड़क- धड़क दिल जाये
मर जाउंगी तुम बिन साजन जो तुम अब ना आये रे
मन गीत मिलन के गाए रे ।
पहले प्रीत का पहला सावन, मीठा –मीठा लागे
मेघा संग ये अँखियाँ बरसे, मीठी अगन भी जागे
प्रेम- श्रृंगार करूँ तेरे नाम का, मेहँदी हाथों रचाए रे
मन गीत मिलन के गाए रे ।
जब से चाँद छुपा बादल में, अब तक नज़र न आया
पिया मेरे परदेस गए, कोई संदेशा भी न आया
कब आओगे चाँद मेरे, जी बहुत मोरा घबराये रे
मन गीत मिलन के गाए रे ।
देखो उस पगली विरहन को, क्या बरखा क्या सावन
जिसकी आस में भीगे युगों से, आया न पल वो सुहावन
राम करे उसका भी साजन अबकी लौट के आये रे
मन गीत मिलन के गाए रे ।
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