...

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अकेलापन
तेरी बातें झूठ लगती है
तू कल कुछ और आज कुछ और लगती है

तुझपे कितना एतबार है लोगों को
तू जहर भी दे दे
तब भी तेरे पास ही आते है

तुम कौन हो कि एक पल भी मुझे
सुकून नहीं आता
तुम अप्सरा हो
यह परी हो
तुम बिन क्यों नहीं रहा जाता

आखिर क्या मजबूरी है मोहब्बत में
मैं कह देता हूँ तुझसे कहा नहीं

जब एक एक पल सौ साल जैसा लगता है
तन्हा रहकर भी मैं तन्हा नहीं रहता
बरस जाओ इक दिन याद बनकर
प्यार अधूरा रहकर भी अधूरा नहीं रहता

मुझे गलियों में मत तलाशा करो महबूबा की
अब मैं वहा नहीं रहता
आओ शराबखाने में कभी
पीने के बाद कोई गम नहीं रहता

कभी वादा करके वादा निभाया नहीं
प्यार में ऐसा तो होता नहीं
तुझे देखा इस दुनिया में फिर कुछ और देखा नहीं

अब भी तेरा इंतज़ार है
आजा
इंतज़ार से ज्यादा खूबसूरत कुछ और होता नहीं