अकेलापन
तेरी बातें झूठ लगती है
तू कल कुछ और आज कुछ और लगती है
तुझपे कितना एतबार है लोगों को
तू जहर भी दे दे
तब भी तेरे पास ही आते है
तुम कौन हो कि एक पल भी मुझे
सुकून नहीं आता
तुम अप्सरा हो
यह परी हो
तुम बिन क्यों नहीं रहा जाता
आखिर क्या मजबूरी है मोहब्बत में
मैं कह देता हूँ तुझसे कहा...
तू कल कुछ और आज कुछ और लगती है
तुझपे कितना एतबार है लोगों को
तू जहर भी दे दे
तब भी तेरे पास ही आते है
तुम कौन हो कि एक पल भी मुझे
सुकून नहीं आता
तुम अप्सरा हो
यह परी हो
तुम बिन क्यों नहीं रहा जाता
आखिर क्या मजबूरी है मोहब्बत में
मैं कह देता हूँ तुझसे कहा...