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Rishte

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my new poem
अब तो मजहब कोई ऐसा बनाया जाए
जिस  में इंसान को इंसान बनाया जाए जिसकी खुशबू से महक जाए पड़ोसी का भी घर  फूल इस किस्म  का खिलाया जाए।


कुछ टूटे हुए दिल के लोग तड़पने लगते है जब सहारा नहीं मिलता तो दर दर भटकने लगते है जब हकीकत मालूम होती है असल उस शख्स की तो फिर  वो भी जीने के लिए बदलने...