...

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navodaya
छटवी में थे रोए बोहोत।
सातवी में संभालना सिख लिया।
आठवीं में आदत थी पड़ गई।
नवी में उस जेल से भी प्यार हुआ।
दसवीं में घर से जादा प्यारा लगा वो पिंजरा मस्ती का खुमार हुआ। बोर्ड
परीक्षा सर पर थी । पर हम पर मस्ती छाई थी ।। और सर्दी की वो राते थी,
जब सेव की सब्जी बनती थी।और सारी होस्टल जगती थी।
गयारवी में सीनियर होने का गुमान हुआ।।सारा स्कूल मर्जी से चलता,और वो गयारवीं बाला यहंकर हुआ।।
१२ में पहला प्यार हुआ पर उसका न इजहार हुआ। गुरुओं से सारा ज्ञान मिला ।। जिंदगी जीने का हुनर मिला।
फिर एक दिन ऐसा आया की उस पिंजरे से ही प्यार हुआ पर तब पिंजरा ही था छूट गया।।
~आदित्य राजपूत
(~Aditya rajput)