ख़फ़ा
बात हुई बहुत दिनों के बाद
मेरी भाषा में प्रेम नहीं था
दिल ने सोचा
कहीं उनको प्यार न हो जाये
विरह का जो दर्द मैं सहती हूँ
वो उस दर्द से दूर रहे।
मिलन क़िस्मत को मंजूर नहीं
मीठी...
मेरी भाषा में प्रेम नहीं था
दिल ने सोचा
कहीं उनको प्यार न हो जाये
विरह का जो दर्द मैं सहती हूँ
वो उस दर्द से दूर रहे।
मिलन क़िस्मत को मंजूर नहीं
मीठी...