...

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मेरी नज़र ढूंढे तेरी डगर
मेरी नज़र,
ढूंढे दरबदर,
हर पहर,
तेरी ही डगर।

तेरे दर पर आकर,
मिला सुकून इस क़दर,
बस अब तेरी एक नज़र,
मुझसे मिलाकर,
दिल की बात कहकर,
सुन, इन अखियों में जा ठहर।

तू ही मेरी सेहर,
तू ही मेरी बसर।
मुझे खुदसे बढ़कर
अब तू जाने बेहतर।
मैं तो चाहूं, सुन हमसफर,
यूं ही चलता रहे हमारा ये सफर।

इस कहानी का मंज़र
अब जो हो, तुझे पाकर,
खुदको सौपकर,
एक वादा कर,
दिल चुने तेरा शहर
जिंदगी भर, जिंदगी भर।

© Kshitija D.

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