...

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मन की मंशा
हे जनार्दन....

कुछ रस्मो रिवाज है,
कुछ कसमें निभाई जा रही हैं।।

आंखों में अश्क लिए,
जिंदगी मुस्कुराई जा रही हैं।।

करले इबादत अपने ""कृष्ण""
की जिंदगी तो वैसे भी कम हुए जा रही हैं।।

नज़रे तुम्हें देखना चाहें ,
ये आंखों का कसूर कह रहीं हैं ।।

हर पल याद तुम्हारी आए ,
तो साँसों का कसूर कह रहीं हैं ।।

वैसे तो, सपने पूछ कर नही आते,
पर सपने तेरे ही आए ,
तो हमारा क्या कसूर,
दिल की आहे कह रहीं हैं ।।

© Fight With God