माँ के पात्र
जब जब कोई विपत्ति शस्त्र बन आई माँ
जब जब कोई संकट अस्त्र बन आया माँ
आप ढाल बन गए माँ
आप ढाल बन गए
जब जब मुझ पर भय की छाया पड़ी माँ
जब जब मुझको भय ने सताया माँ
आप हनुमान चालीसा बन गए माँ
आप हनुमान चालीसा बन गए
जब जब मुझ पर काली धूप की बरखा हुई माँ
जब जब मैं धूप में झुलस गया माँ
आप अंबुद बन बरस पड़े माँ
आप अंबुद बन बरस पड़े
जब जब मैं चलते – चलते गिर पड़ा माँ
जब जब मैं बोलते – बोलते...