...

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तेरा ज़िक्र🥺
महफिलों में तेरा ज़िक्र आज भी है
ज़िक्र भी तेरे नामौजूदगी की है ।

नामौजूदगी की जो कई वर्षों से है
वर्षों से यह दिल सिर्फ इंतज़ार में है ।।

इंतज़ार का तो दो पल ही होता है
जो पल पल तेरी ही याद दिलाता है ।

अंत में यादों को मिटाने महफिलों में जाने लगी
पर कमबख्त महफिलों में भी सिर्फ तेरा ज़िक्र है!
© shree