...

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माँ
चंद लम्हों में बदल देता तकदीर अपनी,
काश होती कोई ऐसी जागीर अपनी ,

आंख मुदते ही मैं तेरे पास होता ,
फिर ना तेरा चेहरा कभी उदास होता,

फिर तेरे आंचल से अपनी आंखे धो लेता,
सिर रखकर तेरी गोद में थोड़ा रो लेता ,
"माँ" तू पास होती तो मैं थोड़ा सो लेता,

कहता तुझसे दूरी मुझे बढ़ा रुला रही है,
माँ देख तेरे बच्चे को तेरी याद आ रही ,

-🌞रवि

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