यादें ऐसी है
किताबों से कभी गुजरो तो यूँ
किरदार मिलते हैं
गये वक़्तों की डयोढ़ी में खड़े
कुछ यार मिलते हैं।
जिसे हम दिल का वीराना
समझकर छोड़ आये थे
वहाँ उजड़े हुये शहरों के कुछ
आसार मिलते हैं।
किरदार मिलते हैं
गये वक़्तों की डयोढ़ी में खड़े
कुछ यार मिलते हैं।
जिसे हम दिल का वीराना
समझकर छोड़ आये थे
वहाँ उजड़े हुये शहरों के कुछ
आसार मिलते हैं।
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