...

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कलम मेरी या हूँ मैं?
लिखता हूँ जज़्बात
केवल अल्फ़ाज़ नहीं लिखता।
जिंदगी के अहसास
खाली मजाक नहीं लिखता।
उड़ जाए हवा में जो
वो कलम नहीं हूँ मैं।
फीकी पड़ जाए रंगत जिसकी
वो स्याह नहीं हूँ मैं।
गम्भीर हूँ, गम्भीर ही लिखती
समझ को अपनी बढ़ाईएगा।
फिर भी न जो समझ सकें
गुब्बारे सा जीते जाइयेगा।
© Joginder Thakur