...

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बेजान मोड़
आज जिंदगी ने फिर से बेजान मोड़ पर खड़ा कर दिया ..
मेरा, मेरी दोस्ती से हम- साया उठा दिया..
मोहब्बत ने dagebaaj, कसूरवार बना दिया..
ना जाने इन खूबसूरत रिश्तों को (किस शाम का) , किसका मोहताज बना दिया..
और हमें सबके लिए खारा समंदर बना दिया..
वक्त ने ऐसा पलटवार मारा..
की दुनिया ने अपनी हर दहलीज का मोहताज बना दिया..
इन आँखों में आँसुओं का सैलाब दिया..
तो जमाने भर की खुशियों से राबता छूट गया.. ...