कभी तेरी यादों से उबरू तो खुद को जानूं मैं
कभी तेरी यादों से उबरू
तो खुद को जानूं मैं
क्या हूं नहीं हूं
इतना तो पहचानूं मैं
इधर-उधर में खो रहा हूं
मंजिल को तो जानूं मैं
तकदीर में क्या है पता नहीं
तू कुछ बोलो तो तेरी मन को जानूं मैं
कितना तुझमें डूब गया हूं
आ पास तुम्हें बताऊं मैं
अवसाद धेर लेती है तेरी यादों की
धड़कन कि गुत्थी कैसे सुलझाऊं मैं
तन्हा उदास अकेला बैठा हूं
दिल को कितना जलाऊं मैं
निपट गया हूं तेरी बाहों के धेरे में
कैसे दुनिया खुद को दिखाऊंं मैं
चलते जा रहा हूं
किस दिशा को अपनाऊं मैं ...
तो खुद को जानूं मैं
क्या हूं नहीं हूं
इतना तो पहचानूं मैं
इधर-उधर में खो रहा हूं
मंजिल को तो जानूं मैं
तकदीर में क्या है पता नहीं
तू कुछ बोलो तो तेरी मन को जानूं मैं
कितना तुझमें डूब गया हूं
आ पास तुम्हें बताऊं मैं
अवसाद धेर लेती है तेरी यादों की
धड़कन कि गुत्थी कैसे सुलझाऊं मैं
तन्हा उदास अकेला बैठा हूं
दिल को कितना जलाऊं मैं
निपट गया हूं तेरी बाहों के धेरे में
कैसे दुनिया खुद को दिखाऊंं मैं
चलते जा रहा हूं
किस दिशा को अपनाऊं मैं ...