...

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चार दिवारी में बंद हम-तुम.....
जिन्दगी में अब कोई और रंग नहीं
चार दिवारी मेंहम-तुम और कोई नहीं ,
ये वो लम्हे है जब हम-तुम और पास है
पर क्या करें साथ होकर भी हम साथ नहीं...