...

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एक दोस्त हुआ करती थी
एक दोस्त हुआ करती थी, बड़ी अजीज बहुत गहरी,,
पर ना जाने कब क्या गलत हुआ,
और दोस्त मेरा मुझसे खफा हुआ,,,
जान निसार करती थी मैं जिस पर, उसने ही संदेह किया मुझ पर,,,
हां एक दोस्त हुआ करती थी,,,,

दोस्ती टूटने का दर्द कैसा होता है, ये हमने महसूस किया है,,
उनका छिप गया और मेरा छप गया,
बस,,, अंतर सिर्फ इतना है।
हां एक दोस्त हुआ करती थी,,,,

शायद मेरा जरूरत से ज्यादा लगाव और उम्मीद ने ही मुझे कष्ट दिया है,,,।
डर लगता है अब किसी के अपनापन से,
क्या पता जिसके साथ का अहसास पाकर खुशी से उछल रही,
वो अपनापन का उपहार छीनकर मेरी झोली को खाली न कर जाए,,,
हां एक दोस्त हुआ करती थी,,,,
© 💥B@v@₹¡💥