...

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अधूरा संगम
मिलाकर हाथ छोड़ दिया क्यूँ साथ !
संगम रहा अधूरा लगा दिल पे आघात !!
लालसा की प्रतिध्वनि उद्वेलित करती है ,
हो रही मलीन नित ,मुख की आभा अवदात !!

ऑंखों से ऑंसू बहते हैं ,विरह में घिरे रहते हैं !
दिल की दिल में ही घुटती व्यथा चुप-चुप रहते हैं !!
अनकहे,समझ सको तो समझ लो मन की बात ,
घायल की गति घायल जानें ,सब सच कहते हैं !!
©MaheshKumar Sharma

#लालसा-की-प्रतिध्वनि
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#MeriKavitaye