...

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हाँ! देखा है मैंने.......
ज़िंदगी को बहुत करीब से देखा है मैंने
किसीको तन्हा तो किसीको उदास देखा है मैंने..!

खुशियाँ बसती थी जिन मिट्टी के घरों में अक्सर
अब उन घरों के दीवारों पर दरारें देखा है मैंने..!

लक्कड के दरवाजे से ज्यादा मजबूत थे रिश्ते जिनके
अब उन रिश्तों पर दीमक का बसेरा देखा है मैंने..!

ज़िंदगी को बहुत करीब से देखा है मैंने
किसीको तन्हा तो किसीको उदास देखा है मैंने..!

थी मोहब्बत जिन के दिलों में, कुबेर की भंडार से ज्यादा..
भीख दे जाते हैं लोग उन्हें चंद रुपयो के साथ ,ये भी देखा है मैंने..!

टिकाऊ वाली मोहब्बत आज बिकाऊ सी जानने लगी है
आज ' भरोसे ' को भरोसा मांगते हुए, हर मज़ार पर देखा है मैंने..!

ज़िंदगी को बहुत करीब से देखा है मैंने
किसीको तन्हा तो किसीको उदास देखा है मैंने..!

जयश्री✍🏻