अगर ख़याल हूँ
अगर अभी भी मैं कहीं तेरे खयाल में हूँ
तो क्या तेरे ख्याल की चाह में मैं मेरी उम्र गुज़ार लूँ
अगर अभी भी मैं तेरी पलकों में बिखरा हुआ ख्वाब हूँ
तो क्या उसी उल्फत की आह पे अपना सब कुछ...
तो क्या तेरे ख्याल की चाह में मैं मेरी उम्र गुज़ार लूँ
अगर अभी भी मैं तेरी पलकों में बिखरा हुआ ख्वाब हूँ
तो क्या उसी उल्फत की आह पे अपना सब कुछ...