बंदे
मुझको कहा ढूंढता है
जहां देख वहां मैं हूं
घटाओ में, फिज़ाओं में
अंबर में, गहरे समंदर में
धरा में, दहन की प्रज्वलन में
तेरे मन में, तन की अगन में
अहम को त्याग तो मुझ को पाएगा
मुझको कहां ढूंढता है बंदे
अपने अंदर झाक तो मुझको पाएगा
जहा देख वहा मैं हूं
एक दिन मुझ में हि समायगा
मुझको कहां ढूंढता है बंदे ।।
© soulstorybyswati
जहां देख वहां मैं हूं
घटाओ में, फिज़ाओं में
अंबर में, गहरे समंदर में
धरा में, दहन की प्रज्वलन में
तेरे मन में, तन की अगन में
अहम को त्याग तो मुझ को पाएगा
मुझको कहां ढूंढता है बंदे
अपने अंदर झाक तो मुझको पाएगा
जहा देख वहा मैं हूं
एक दिन मुझ में हि समायगा
मुझको कहां ढूंढता है बंदे ।।
© soulstorybyswati