...

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निर्जीव हो गए हैं हम
" अपनी-अपनी समझ है
अपनी-अपनी जिंदगी,
समय का खेल है या फिर,
नियति की चतुराई।
अब तो नए-नए
आकर्षक सपने भी
नहीं कर...