फिजूल..!
कांटे होके भी फूलों की हिफाजत में खड़े हैं,
दर्द कोई एक देगा मगर तेरी इमदाद को बड़े हैं,
मिट्टी में मिलेगी उड़ने दे उसे,
वजूद उसका मिट्टी है धूल नहीं है।
•कुछ मकसद होगा हमारे मिलने का।
••कुछ भी यहां फिजूल नहीं है।।
दरख्तों से गिर कर भी पते खुद खाद हो गए,
इंसान...
दर्द कोई एक देगा मगर तेरी इमदाद को बड़े हैं,
मिट्टी में मिलेगी उड़ने दे उसे,
वजूद उसका मिट्टी है धूल नहीं है।
•कुछ मकसद होगा हमारे मिलने का।
••कुछ भी यहां फिजूल नहीं है।।
दरख्तों से गिर कर भी पते खुद खाद हो गए,
इंसान...