बदलती दुनियाँ
इस दुनियाँ मे इंसान के कितने चेहरे है।
कौन असली है कौन नकली है।
क्या पता?
क्योंकि यहां तो इसके भी इतने पहरे है।
क्या सच है क्या झूठ है। कोई नही जानता
क्योंकि इसमे भी लोगो के क्या कहने है।
कब किससे रिश्ता जुड़ जाये।
कब किससे रिश्ता टूट जाये।
क्या पता?
कौन एक पल में अपना हो जाये।
कौन अपना होकर भी पराया हो जाये।
क्यूंकि इसमे भी राज कई गहरे है।
ये दुनियाँ पल भर में रंग बदलने वाली है।
बाहर बनावट है लेकिन अंदर से खाली है।
चकाचोंध की दुनियाँ की पुजारी है।
इसलिए घृणित होते हुए भी सदाचारी है।
क्यूंकि इसके पीछे भी स्वार्थ के चेहरे है।
अपने हीं अपनों को रुलाते है।
अपने हीं अपनों को सताते है।
क्यों स्वार्थ के पीछे भागते है।
सब जानते हुए भी परछाई को तलाशते है।
पास होते हुए भी दूर नजर आते है।
क्यूंकि इसमे भी कई मोड़ व कई किनारे है।
सब जानते हुए भी लोग क्यों अंजान है।
बदलती दुनियाँ।।।।
कौन असली है कौन नकली है।
क्या पता?
क्योंकि यहां तो इसके भी इतने पहरे है।
क्या सच है क्या झूठ है। कोई नही जानता
क्योंकि इसमे भी लोगो के क्या कहने है।
कब किससे रिश्ता जुड़ जाये।
कब किससे रिश्ता टूट जाये।
क्या पता?
कौन एक पल में अपना हो जाये।
कौन अपना होकर भी पराया हो जाये।
क्यूंकि इसमे भी राज कई गहरे है।
ये दुनियाँ पल भर में रंग बदलने वाली है।
बाहर बनावट है लेकिन अंदर से खाली है।
चकाचोंध की दुनियाँ की पुजारी है।
इसलिए घृणित होते हुए भी सदाचारी है।
क्यूंकि इसके पीछे भी स्वार्थ के चेहरे है।
अपने हीं अपनों को रुलाते है।
अपने हीं अपनों को सताते है।
क्यों स्वार्थ के पीछे भागते है।
सब जानते हुए भी परछाई को तलाशते है।
पास होते हुए भी दूर नजर आते है।
क्यूंकि इसमे भी कई मोड़ व कई किनारे है।
सब जानते हुए भी लोग क्यों अंजान है।
बदलती दुनियाँ।।।।