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mohobat
खुशबू वो मुहब्बत की उड़ाने में लगे हैं

सांसों में मेरी महक बनके समाने में लगे हैं।


इलज़ाम नए रोज़ लगाने में लगे हैं

आवाज़ मेरी क्यूं वो दबाने में लगे हैं


कहते हैं यही रोज़ हमें वक्त तो दे दो

वो रोज़ बहाने से बुलाने में लगे हैं।


दिल हसरतों से अपना गिराने में लगे हैं

सागर भरा जो इश्क का सुखाने में लगे हैं।


अब रहमतों के रस्ते खुले रहते हैं उसके

वो हर किसी का दर्द मिटाने में लगे हैं।


चेहरों पे हवाई जो उड़े जरद मिला रंग

मौसम वो बहारों का ही लाने में लगे हैं।


किरदार को महका दें वो दें नेकियां दिल की

इंसां को फरिश्ता वो बनाने में लगे हैं।


समझे नहीं हैं गैर वो दुनिया में किसी को

गैरों को भी अपना बनाने में लगे हैं।


उनके दिलों की खुशियों के सब बंद हो रस्ते

जो ज़िन्दगी के ख़्वाब चुराने में लगे हैं।


सागर वो भरें दिल का मुहब्बत की नज़र से

लहरें नई वो दिल में उठाने में लगे हैं।


हम ढूंढे बहाना उन्हें अब कैसे बताएं

वो आशिकी का राज़ छुपाने में लगे हैं।


उनकी ही इजाज़त से खुले रास्ते दिल के

वो आसमां में हमको उड़ाने में लगे हैं।


तहजीब मुहब्बत की खुशी देनी सदा "मीत"

अंदाज़ मुहब्बत को सिखाने में लगे हैं।
pandit G
© pandit