...

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तुम जब मिले थे
तुम जब मिलें थे
गुल सब खिले थे
मायूस चेहरा तेरा दिखा

नज़रें झुकी थी
पलकों पे नमी थी
पर आंखों में मेरी अश्क दिखा

दर्द वो तेरे थे
फिर क्यों मुझको एहसास हुए
सोचा जब समझा बैठकें तन्हा
चला पता तुम मेरे ख़ास हुए

जब भी उनका ख्याल आया
दिल में फूल खिले थे
जन्नती इशरत मालूम हुई थी
तुम जब मिले थे

रोज़ उन राहों में
तेरा था इंतजार
रोज़ ख्वाबों में
तुझपे था इख्तियार

जितना चाहे उतना कम था
हम भूले जो भी हमको ग़म था
रात जगाया सब भूलाया
हमको याद तेरा अक्स था

रक्स करता झूम उठा था
दिल को मेरे प्यार हुआ था
शब में चाँद का दीद हुआ तो
लगा जैसे तु भी तैयार हुआ था

तुम जब मिले थे
मिटे सब गिले थे
हमको तो मालूम सिर्फ तुम ही हुए थे

मिलना तो क्या होगा पता नहीं
तेरा तो ख्याल भी मुकम्मल इश्क जैसा है

नगमा तुम मेरे दिल का सुन लो
तुम भी यारा मेंरा ख्वाब बुन लो
लाज़िमी कर लो संगम अपना
इक नई दुनिया अपनी चुन लो

तुम जब मिले थे
गुल सब खिले थे
जो तुम जुदा थे गुल को गिले थे
-उत्सव कुलदीप














© utsav kuldeep