हम ऋणी हैं उसके
विकास-पथ पर बढ़े हम,सफ़र जो सतत जारी है !
पाला आत्मनिर्भर बनाया वह ममतामयी नारी है !!
ईश्वर के पश्चात् हम सर्वाधिक ऋणी उसी के ही है !
जननी और प्रथम गुरू वही ,हम उसके आभारी है !!
आज ठाना बढ़ने का आगे ,वह अकेले बढ़ रही है !
अवरोध हैै पथ में कई ,पर दल सभी को बढ़ रही है !!
सशक्त हो ,समुन्नत हो ,परिवार ,समाज,राष्ट्र निरन्तर !
अब भूलकर भी नहीं होना चाहिए ,कोई भेद-अन्तर !!
नारी के त्याग-बलिदान भाव का सर्वदा मान होना चाहिए !
रूढ़ि मुक्त हो सोच हमारी ,समुन्नत हिन्दुस्थान होना चाहिए !!
© MaheshKumar Sharma
8/3/2023
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