...

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पता नही क्या कर रही थी वो
पता नही क्या कर रही थी
आसू छुपाने के लिए
मुस्कुरा रही थी
पता नही वो सच छुपा रही थी
या खुद से झूठ बोल रही थी

बस बहुत हुआ ने अब सबसे जमकर सामना करूंगी कहकर पता नही फिर वो गुमसुम रहती थी
पता नही वह सच छुपा रही थी
या खुद से झूठ बोल रही थी

आंसू गिराने के बाद चश्मा पहने वो
सबको ये बता रही थी की गालों पर लाली लगाई हु
पता नही सच छुपा रही थी
या खुद से झूठ बोल रहीं थी

आंखो से आंखे मिलाकर बात करने को वो गुरुर नही घमंड कहती थी
हंस कर मिल लेती थी सबको पर रातों में रोती भी बहुत थी वो

पता नही सच छुपा रही थी वो
या खुद से ही झूठ बोल रही थी वह...

© Radha