नज़रों के हालात
मेरे नज़रों के हालातों से वाकीफ़ हूँ ,
पर दूसरो को कभी दिखा नहीं सकती ..
तकलीफ़ होती देश में बेटी के हाल ,
पर मैं किसी को कभी समझा नहीं सकती ..
नज़रो से जो जिस्म के जख्म दिखते,
पर दिल से उन जख्मो को मिटा नहीं सकती..
मेरे नज़रो के हालातों से वाकीफ़ हूँ ,
पर दूसरो को कभी दिखा नहीं सकती..
आखिर कब तक बेहुदा...
पर दूसरो को कभी दिखा नहीं सकती ..
तकलीफ़ होती देश में बेटी के हाल ,
पर मैं किसी को कभी समझा नहीं सकती ..
नज़रो से जो जिस्म के जख्म दिखते,
पर दिल से उन जख्मो को मिटा नहीं सकती..
मेरे नज़रो के हालातों से वाकीफ़ हूँ ,
पर दूसरो को कभी दिखा नहीं सकती..
आखिर कब तक बेहुदा...