वो एक रात बाकी है
मेरी सासों में तेरी खुशबु, तेरा अहसास बाकी है
न बुझ सकी थी जो कभी, वो प्यास बाकी है
मेरे महबूब , मुझे फिर वो रात अता करना
मेरे हिस्से में अब भी , वो एक रात बाकी है
वो मोम सा पिघलता जिस्म, वो फूलती सासें
वो बिखरी बिखरी जुल्फे और प्यार की बातें
वो फुल से शब्द, जो, हवाओं में बिखरे थे
उन शब्दो की अब भी वो, मिठास बाकी है
मेरे महबूब , मुझे फिर वो रात अता करना
मेरे हिस्से में अब भी , वो एक रात बाकी है
वो...
न बुझ सकी थी जो कभी, वो प्यास बाकी है
मेरे महबूब , मुझे फिर वो रात अता करना
मेरे हिस्से में अब भी , वो एक रात बाकी है
वो मोम सा पिघलता जिस्म, वो फूलती सासें
वो बिखरी बिखरी जुल्फे और प्यार की बातें
वो फुल से शब्द, जो, हवाओं में बिखरे थे
उन शब्दो की अब भी वो, मिठास बाकी है
मेरे महबूब , मुझे फिर वो रात अता करना
मेरे हिस्से में अब भी , वो एक रात बाकी है
वो...