आख़िर क्यों?
आखिर क्यों?
मन की पीड़ा मन ही जाने,
कौन किसे यूँ पहचाने।
ग़म में मेरे घिर ही गए तुम,
ऐसे जाने या अनजाने।
चाह हृदय की अब क्यूँ...
मन की पीड़ा मन ही जाने,
कौन किसे यूँ पहचाने।
ग़म में मेरे घिर ही गए तुम,
ऐसे जाने या अनजाने।
चाह हृदय की अब क्यूँ...