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पतझड़....
बदलने लगा है सबकुछ धीरे-धीरे
वक्त से पहले पतझड़ आने लगा है
मौसम भी रूखा सा होने लगा है
मुहब्बत का चमन उजड़ने लगा है
सूखा पेड़ भी अकेला रह गया अब
परिंदा भी दूसरा घर तलाशने लगा है
भरोसा है पंछी को अपने हौसलों पर
बिना साथी के जिंदगी बिताने लगा है
क्यों कहे वो पंछी दर्द अपना किसी से
हर कोई सुनकर अनसुनी करने लगा है!!
वक्त से पहले पतझड़ आने लगा है
मौसम भी रूखा सा होने लगा है
मुहब्बत का चमन उजड़ने लगा है
सूखा पेड़ भी अकेला रह गया अब
परिंदा भी दूसरा घर तलाशने लगा है
भरोसा है पंछी को अपने हौसलों पर
बिना साथी के जिंदगी बिताने लगा है
क्यों कहे वो पंछी दर्द अपना किसी से
हर कोई सुनकर अनसुनी करने लगा है!!
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