...

4 views

अश्क
मुस्कुराकर एक अश्क आँखो मे बार बारआया
हिजरत मे मुझे जब भी याद मेरा यार आया !

याद आया जब मुझे मुहब्बत का फसाना मेरा
निखरकर मेरी बेकरारी मे नया करार आया !

पुरजोर चल रही थी सबा-ए-इश्क मगर क्यो
सुहानी फिजाँ मे दफ़तन ये कैसा गुबार आया !

देखा जब तुम्हे मुस्कुराते हुँए रकीब की बाहो मे
फिर ना मुझे किसी की मुस्कान पर ऐतबार आया !
© संदीप देशमुख