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नामचीन
नामचीन

नफरते उगलते हैं
आम लोगों से वो दूर चलते हैं
छपते हैं वो पेज थ्री पर
क्योंकि वो नंगे नामचीन हैं

नंगे गरीब भी हैं
वो नामचीन नहीं होते
फर्क लिवास और सोच का हैं
वो छपते हैं अखवारों में
जब चुनाव होते हैं
तब गरीब छपते हैं
और वो नामचीन होते हैं

नेता हर नंगे गरीब के साथ होता हैं
वोट लेता हैं, सत्ता में आता हैं
गरीब वहीं के वहीं रहता हैं
तब नेता नामचीन होते हैं

चमक दमाक के लोग
अपवाद पैदा कर ख्यात होते हैं
वो आम जनमानस में द्वेष होते हैं
बेशर्म की हदों के बाद भी बेशर्म रहते हैं
यही नामचीन हैं जो प्रख्यात होते हैं

कई लोग इस मशहूरियत के अंधे होते हैं
निकल पड़ते हैं नमी के गुम नाम में
उघड़ते बदन के परवान होते हैं
वो भी विख्यात होते हैं
जब कहीं बलात्कार होते हैं

सवाल मन में हर वक़्त उमड़ता हैं
क्या हर नामचीन कीर्तिवान होते हैं...?
© DEEPAK BUNELA