...

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पुष्प
वो फूल तोड़ने आयी थी
या फूल खिलाने आयी थी,

मैं कहता हूँ फूलों को
वो खुशबू देने आयी थी,

वो पुष्प खिले थे मंजुल से
कोमलता देने आयी थी,

पुष्प लग रहे जगमग से
सूरज की किरणें लायी थी,

निहार रहे हम उसको थे
वो मुझे देख मुस्काई थी,

फूलों की अद्भुत रौनक थी
सुंदरता उनकी लाई थी,

मैं कहता हूँ फूलों को
वो खुशबू देने आयी थी I

© सोमनाथ यादव