...

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आधी अधूरी बात
रह गई कुछ आधी अधूरी बातें,
जाने कैसी ही थी वो मुलाक़ातें।

ख़ामोश जुबां से होती थी गुफ़्तगु,
धड़कन की सुन गुज़ारी कई रातें।

तसव्वुर में खोए हुए रहते थे हम,
दिल को सुकूँ दे जाती थी सौगातें।

बेवफ़ा वक़्त ने ढाया है सितम यूँ,
दिल में ही रह गई सारी ख़्यालातें।

चाँद से करने लगा दिल सिफारिश,
शायद इस जनम में पूरी हो सारी बातें।

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© LopaTheWriter